रेती चोरो के हौसले बुलंद ,अधिकारी की लापरवाही है। या अधिकारी धृतराष्ट्र की भूमिका निभा रहे है क्या?

 
        
हिंगणघाट:  के ग्रामीण क्षेत्र कानगाव और ढाबा मार्ग रेती घाट से रेती की चोरी कर लाखों के माल की हेरा ,फेरी कर अवैध संपत्ति जमा कर रहे है।रेती माफिया दिखावे के ,प्रतिबंध के बाद भी संबंधित विभाग खामोश क्यों है ?इन रेती चोरो को किसका आशीर्वाद है?बिना सहयोग के लाखों के मालकी चोरी करना मुश्किल है। कोई तो विभीषण है ,इस काले कार्य की लंका में जिसका सहयोग  चोरो मिल रहा है ।लगातार रेती निकालने से गत वर्षों पहले गणपति विसर्जन के समय नाव पलटने से महिलाएं डुब्बी थी। नदी में बड़े बड़े गड्ढे हो ने से वाहन फ़स जाते है ।बच्चे कई बार ट्रैक्टर के नीचे दबने का डर लगा रहेता है ।रेती तस्करों ने बड़े पैमाने पर रेती निकालकर नदी का सौदंर्य खराब क र दिया है ।इसमें नेताओ के गुर्गे भी शामिल है क्या? जिन्हें नेताओ का आशीर्वाद बड़े,बड़े अधिकारियों का पूरा पूरा सहयोग प्राप्त है इसकी पुर्र शहर में चर्चा है ।रेती माफिया और अधिकारियों की मिली, जुली सरकार है,जितने भी काले धन दे है खुलेआम नही चलते ,जब तक संबंधित विभाग के बड़े अधिकारी से घनिष्ठ संबंध होने जे उपरांत ही ,अवैध कार्यो को बढ़ावा मिलता है ।आखिर ये काले धन दो पर कब प्रतिबंध लगेंगा। अगर अब भी इन पर अंकुश नही लगाया गया तो ,नदी में सिर्फ गड्ढे दिखाई देंगे। बड़े अधिकारी चोरो के खिलाफ कार्यवाही करेंगे क्या?शहर की जनता की नजरें इस पर केंद्रित है 

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